हमारी याद आएगी: मौत का भय और जिंदगी की पहेली
जिंदगी ने गीतकार योगेश से खूब उठापटक करवाई। संगीतकारों और स्टूडियो के खूब चक्कर लगवाए। फिर यही जिंदगी उनके गीतों में भी उतरी। कभी न ‘जाने क्यों होता है जिंदगी के साथ...’, कभी ‘बड़ी सूनी सूनी है जिंदगी ये जिंदगी...’ तो कभी ‘जिंदगी कैसी है पहेली...’ जैसे गानों के रूप में। उनके गाने सुनकर भ्रम होता था कि इन्हें गुलजार ने तो नहीं लिखा। उनका लिखा गाना गाकर लता मंगेशकर ने कहा था कि शैलेंद्र तो रहे नहीं, तो क्या उन्होंने अपने निधन से पहले यह गाना लिख दिया था। मजरूह सुलतानपुरी ने तो ‘सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा, ये हुस्न मुज्जसिम तब तेरा इस रंग पे आया होगा...’ सुनकर कहा था कि सुंदरता पर इससे बढ़िया गीत लिखा ही नहीं जा सकता। ऐसे गीतकार योगेश का 29 मई को निधन हो गया।
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