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हमारी याद आएगीः जब देनी पड़ी हिंदी फिल्मों में प्रवेश के लिए परीक्षा

असम की हरीतिमा लिए चाय बागानों में चहचहाते पक्षियों और चलती मंद हवा के साथ मोजार्ट की सिंफनियों की खुराक पर पले थे संगीतकार सलिल चौधरी। आजादी के आंदोलन से जुड़े रहे सलिल चौधरी के गाने बंगाल में खूब गूंजे। उन्होंने बांग्ला और हिंदी समेत दस भाषाओं की फिल्मों में संगीत दिया। मलयालम फिल्म ‘चेम्मीन’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पाया। ‘ऐ मेरे प्यारे वतन...’, ‘मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने...’, ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए...’, ‘सुहाना सफर और ये मौसम हंसी...’ जैसे गाने बनाए। किरदारों की भावनाओं को संगीत के जरिए उभारने में ‘मास्टर’ माने गए सलिल चौधरी की कल 25वीं पुण्यतिथि है।

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