न्योता: पधारो म्हारे देश
मुंबई फिल्मों का गढ़ रहा है। यहां 70 के दशक में फिल्मसिटी बनाई गई। पुणे में फिल्म इंस्टीट्यूट खोला गया। दोनों से फिल्मजगत को सहारा मिला। पुणे फिल्म संस्थान ने सिनेमा को बेहतरीन कलाकार और तकनीशियन दिए। मगर 70 के दशक में बनी मुंबई की फिल्मसिटी का आलम यह था 20 साल गुजरने के बाद भीवहां जूनियर आर्टिस्ट ‘झाड़ की आड़’ में कपड़े बदलते थे।
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