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अपनी पसंद की जिंदगी

यह कई कारणों से यादगार फिल्म है। एक तो यह ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म है। दूसरा इसमें एक ही चरित्र को दो कलाकारों ने निभाया है। ऋषि कपूर और परेश रावल-दोनों ने ही इस फिल्म में बृज शर्मा नाम के शख्स की भूमिका निभाई है। चूंकि दर्शकों को यह पहले से मालूम है कि इसमें बालीवुड के दो बड़े कलाकार एक ही भूमिका को निभा रहे हैं इसलिए इसे देखते हुए उसे कोई आश्चर्य नहीं होता और न यह बात फिल्म के स्वाद में कोई अवरोध पैदा करता है।

ऋषि कपूर और परेश रावल ने इसमें बृज शर्मा नाम के एक ऐसे चरित्र को निभाया है जो नौकरी से रिटायर हो जाने के बाद अपने जीवन को नए तरीके से जीने की कोशिश करता है। वह कुछ महिलाओं की किटी पार्टी के लिए भोजन बनाना शुरू कर देता है। हालांकि कुछ लोग समझते हैं कि उसने हलवाईगिरी शुरू कर दी, पर बृज शर्मा यह काम अपने शौक के लिए और अपने जीवन को सक्रिय रखने के लिए करता है।

उसके दोनों बेटे इस काम को पसंद नहीं करते इसलिए बेटों और बाप में झगड़े भी होते रहते हैं। लोग बृज शर्मा का मजाक उड़ाते रहते हैं लेकिन वह अपना काम जारी रखता है। जूही चावला ने भी इसमें एक दिलचस्प भूमिका निभाई है और उनके किरदार के बारे में दर्शकों की जो धारणा शुरू में बनती है, वह अंत में उलट जाती है। ‘शर्माजी नमकीन’ एक साधारण शहरी मध्यवर्गीय परिवार की कहानी है और इसमें भरपूर हास्य भी है।

ऋषि कपूर वाला जो हिस्सा है उसमें संजीदगी अधिक है तो परेश रावल के रोल में हास्य। फिल्म कुछ कुछ अमिताभ बच्चन की बहुत पहले आई ‘बागवान’ की याद दिलाती है जिसमें रिटायरमेंट के बाद पिता अपने बच्चों के बीच में खुद को मिसफिट पाता है। ‘शर्माजी नमकीन’ में एक फलसफा भी है और वह यह कि किसी भी उम्र में जीवन को नए तरीके से शुरू किया जा सकता है और भले ही जमाना कुछ भी कहता रहे आदमी को अपनी सोच पर अड़े रहना चाहिए। यह बहुत महत्वाकांक्षी फिल्म नहीं है लेकिन इसमें जिंदगी का एक ऐसा नजरिया है जो सकारात्मकता पैदा करता है।



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