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जब गुलजार ने होटल के वेटर के नाम पर रखा था अपनी फिल्म के हीरो का नाम, शोले के एक्टर ने निभाया था किरदार- पढ़ें मजेदार वाकया

लता मंगेशकर पर लिखी अपनी 'लता सुरगाथा' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले मशहूर लेखक यतींद्र मिश्र की नई किताब 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं' वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है. एक बार फिर मशहूर फिल्मी हस्ती के जीवन को उन्होंने अपना विषय बनाया है. इस किताब में यतींद्र मिश्र ने बॉलीवुड के मशहूर गीतकार, डायरेक्टर और लेखक गुलजार की जिंदगी के उन पहलुओं और पन्नों को पेश किया है जिनसे उनके चाहने वाले अभी तक अनजान थे. उन्होंने गुलजार की जिंदगी को अपनी कलम से बारीकी से उकेरा है और उनके लंबे साक्षात्कार के जरिये उनकी जिंदगी को गहराई से पाठकों के सामने पेश किया है. यतींद्र मिश्र ने गुलजार से जुड़ा एक बहुत ही बेहतरीन किस्सा इस किताब में पेश किया है, आप भी इसे पढ़ें और समझें कि गुलजार ने अपने फिल्म के किरदारों को किस तरह गढ़ा है..

यतींद्र मिश्र की नई किताब 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं'में वे लिखते हैं, 'मित्रता से अलग सामान्य जीवन अनुभव में आने वाले किसी इंसान को उसकी गरिमा देने में भी गुलज़ार अग्रणी रहे हैं. एक क़िस्सा ‘आंधी' फ़िल्म के सन्दर्भ में भी बड़ा रोचक रहा है. हुआ यह था कि दिल्ली के ‘अकबर' होटल में बैठकर एक ही सिटिंग में कई दिनों तक स्क्रिप्ट पर काम करते हुए गुलज़ार ने फ़िल्म की पटकथा पूरी की थी. इस दौरान होटल का एक बैरा जेके दिन-रात उनकी आवभगत में लगा रहा था. गुलज़ार उसके सहयोग और अपनत्व से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने उससे वादा किया कि फ़िल्म में उनके हीरो का नाम उसी बैरा के नाम पर रखेंगे...और इस तरह ‘आंधी' में संजीव कुमार का नाम ‘जेके' रखा गया.'

गुलजार यानी सम्पूर्ण सिंह कालरा का जन्म 18 अगस्त, 1934 में पाकिस्तान के दीना में हुआ. गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत एस.डी बर्मन के साथ एक लीरिक्स राइटर के तौर पर की थी. अपने करियर के दौरान गुलजार को कई बार अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. इनमें ऑस्कर, ग्रैमी, पद्म भूषण और कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स भी शामिल हैं.



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