जुम्मे की नमाज पर हुए दंगे को देख फिल्ममेकर को आई कश्मीर की घाटी की याद, मिले ऐसे जवाब
देश के कई इलाकों में नुपुर शर्मा के बयान को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन पर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने प्रतिक्रिया दी है। इन दंगों को देख अशोक पंडित को साल 1990 की कश्मीर की घटना याद आ गई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा,”जुमे की नमाज के बाद पूरे देश में मस्जिदों में विरोध, एक बार फिर पूरी तरह से खुफिया विफलता साबित होती है। क्योंकि ये देश में अशांति पैदा करने की सुनियोजित रणनीति थी। ये मुझे कश्मीर में 19 जनवरी 1990 की याद दिलाता है जब सभी मस्जिदों ने पंडितों के खिलाफ नारे लगाए थे।”
देशभक्त नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा,”अगर ऐसे ही कश्मीरी पंडित और गैर कश्मीरी भी अपनी आवाज उठाऐं तो बहुत कुछ हो सकता है। सीखिए इनसे कि कैसे सरकार को हिलाया जाता है। ट्वीट करने मात्र से कुछ नहीं होगा प्रिय अशोक पंडित जी।”
वंदे मातरम नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया,”इसमें इंटेलिजेंस फेलियर जैसा कुछ नहीं। ये सिलसिला अब चलना वाला है। इनको लगता है देश में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बाद गल्फ देशों के दख्लल से इन्हें भ्रम हो गया, अब इनका एंजेडा सफल हो गया।”
पीके नेशनलिस्ट ने लिखा,”शुक्रवार के दिन नमाज पर रोक लगा देनी चाहिए। ये वास्तव में प्रार्थना दिवस नहीं है, ये एक आतंक दिवस बन गया है। सभी मस्जिदों को निगरानी में रखा जाए।” जयंत मालवीय ने लिखा,”महोदय, ये खुफिया विफलता नहीं है, ये एक ज्ञात तथ्य है कि शुक्रवार के बाद नमाज हिंसा होती है, ये पहली बार नहीं है। इन तत्वों को बकवास और गड़बड़ी पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।”
देशभक्त नाम ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया,”हिंदुओं के लिए भी सप्ताह में एक दिन निर्धारित हो ताकि हम सब भी अपनी दुकान बंद कर या नौकरी से बंक मारकर पूजा पाठ कर सके। ऐसा हो पायेगा?”
नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ कोलकाता से लेकर दिल्ली की जामा मस्जिद, सहारनपुर, रांची, प्रयागराज, लखनऊ में विरोध हुआ। कर्नाटक में नुपुर शर्मा के पुतले को फांसी पर भी लटकाया गया। प्रदर्शनकारी नुपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
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