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कमजोर फिल्मों के मजबूत पनाहगाह बनते जा रहे हैं ओटीटी प्लेटफॉर्म, 'गैसलाइट' और 'मर्डर मिस्ट्री 2' देखकर तो ऐसा ही लगता है

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जब भी कोई फिल्म डायरेक्ट रिलीज होती है, तो एकदम से बतौर दर्शक जेहन में यही सवाल कौंधता है कि आखिर इस फिल्म में बड़े स्टार हैं, तो सिनेमाघरों में रिलीज क्यों नहीं किया जा रहा? उसके बाद में शक पैदा होता है कि क्या फिल्म में कोई गड़बड़ी है, जिसकी वजह से डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ने  सिनेमाघरों में रिलीज करने से कन्नी काट ली. अब जरा इस हफ्ते रिलीज हुई दो फिल्मों की बात करते हैं. एक तो है हॉलीवुड फिल्म 'मर्डर मिस्ट्री 2' जिसमें एडम सैंडलर और जेनिफर एनिस्टर जैसे फेमस स्टार हैं. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. वहीं बॉलीवुड फिल्म 'गैसलाइट' है जो डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई है. इसमें सारा अली खान और चित्रांगदा सिंह जैसे बड़े नाम हैं. लेकिन कंटेंट के मामले में यह दोनों ही फिल्में पूरी तरह निराश करती हैं और इशारा कर देती हैं कि प्रोड्यूसर समझदारी दिखाते हुए कमजोर फिल्मों को नामी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को बेच दे रहे हैं. वहीं, नामचीन स्टारकास्ट के चलते ओटीटी प्लेटफॉर्म इन्हें खरीद भी रहे हैं. 

पहले बात करते हैं नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'मर्डर मिस्ट्री 2' की. फिल्म में एडम सैंडलर और जेनिफर एनिस्टर एक बार फिर साथ आए हैं. इस बार वह एक बहुत ही भव्य शादी में आते हैं और वहां कुछ ऐसा हो जाता है जिससे रंग में भंग पड़ जाता है. इस तरह यह जोड़ा एक बार फिर अपने रंग में आ जाते हैं और केस की जड़ तक पहुंचने की जुगत लगाते हैं. लेकिन जेनिफर एनिस्टर के कुछ सीन्स को छोड़ दिया जाए तो फिल्म पूरी तरह से नॉन सीरियस लगती है. सितारे भी ऐसे लगते हैं कि जैसे वह सिर्फ फिल्म करने के लिए ही फिल्म कर रहे हैं, उनकी इसमें खास दिलचस्पी नहीं है. डायरेक्टर भी कहानी को लेकर बांध नहीं पाते हैं और अधिकतर चीजें काफी स्वाभाविक ही लगती हैं. इस तरह 'मर्डर मिस्ट्री' को जहां खूब पसंद किया गया था, वहीं 'मर्डर मिस्ट्री 2' अच्छे कंटेंट के मामले में निराश करती हैं. 

सारा अली खान की 'गैसलाइट'डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई है. फिल्म की कहानी सारा अली खान की है जो अपने पुश्तैनी घर में आती है तो उसे लगता है कि उसके पिता के साथ कुछ हुआ है. लेकिन कोई भी कुछ नहीं कहता है. इस तरह एक रहस्य है और उस पर से सारा अली खान को परदा उठाना है. लेकिन न तो रहस्य सही से बुना जाता है और न ही कहानी का पेस ही ऐसा है जो बांधे रखे और फिर एक्टिंग के मोर्चे पर तो पूरी फिल्म ही बिखरी हुई सी नजर आती है. एक समय के बाद ऐसा लगता है कि फिल्म कब खत्म हो. इस तरह कुल मिलाकर सारा अली खान एक बार फिर अपनी फिल्म के साथ मनोरंजन की कसौटी पर खरा उतरने में नाकाम रही हैं. कुल मिलाकर 'गैसलाइट' एक कमजोर फिल्म साबित होती है. 

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