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अपने डायलॉग से रुलाने, हंसाने और डराने का हुनर रखता था यह एक्टर, कब्रिस्तान में मिले फरिश्ते ने बदल डाली थी तकदीर

कादर खान ने फिल्मी दुनिया पर लंबे अरसे तक राज किया है और हर फन में अपने हुनर का लोहा मनवाया है. फिल्मों में उनकी पहचान निगेटिव किरदार से बनी. जिन दर्शकों ने उन्हें विलेन का रोल प्ले करते हुए देखा है वो उनका खतरनाक अंदाज आज भी भुला नहीं  सके होंगे. कैरेक्टर रोल में भी कादर खान ने अपनी एक्टिंग से अमिट छाप छोड़ी और कॉमेडी की दुनिया में भी वो बेमिसाल रहे. बॉलीवुड में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कादर खान ने खूब पापड़ बेले. बचपन इस कदर गरीबी में बीता कि मस्जिद के बाहर भीख मांग कर दिन गुजारने पड़े. इत्तेफाक देखिए नाटकों में ब्रेक भी कब्र में दफन मुर्दों से बात करने पर मिला.

कादर खान यूं बने एक्टर

कादर खान से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया है. बताया जाता है कि उनकी अम्मी उन्हें मस्जिद भेजती थी. लेकिन वह वहां न जाकर कब्रिस्तान चले जाते थे. वह वहां जाकर जो भी पढ़ा होता उसे न सिर्फ याद करते बल्कि अपने दिल की बातें भी कब्रों से करते. इस तरह वह रोज वहां जाते और इस तरह उनका बात कहने का तरीका हर दिन के साथ निखरता चला. इस तरह उन्होंने रियाज किया. एक दिन वह जब अपने रूटीन को अंजाम दे रहे थे तो अचानक एक शख्स ने उन्हें कब्रों के पास देखा. उससे जाकर पूछा तो उसने बताया कि वह रियाज कर रहे हैं. यह अशरफ खान थे और उन्हें अपने नाटक के लिए एक बच्चे की जरूरत थी. इस तरह कादर खान एक्टिंग की तरफ मुड़ गए.

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कादर खान और शक्ति कपूर

कादर खान ने दिलीप कुमार के सामने रख दी अपनी शर्तें

एक बार जो मौका मिला तो हुनरमंद कादर खान ने दोबारा पलट कर नहीं देखा. वो उनकी अदायगी और ड्रामे के चर्चे इतनी दूर दूर तक फैले कि खुद दिलीप कुमार जैसा स्टार उन्हें फोन करने पर मजबूर हो गया. ये उन दिनों की बात है जब कादर खान कॉलेज में थे और उनका नाटक ताश के पत्ते हिट हो रहा था. दिलीप कुमार ने कादर खान को फोन कर नाटक देखने की इच्छा जताई. बदले में कादर खान ने दो शर्तें रखीं कि दिलीप साहब नाटक शुरू होने से पहले ही पहुंच जाएंगे और दूसरी ये कि वो नाटक छोड़ कर बीच में नहीं जाएंगे. दिलीप कुमार ने न सिर्फ ये शर्तें मानी बल्कि उनका हुनर देखकर उन्हें दो फिल्में भी ऑफर कीं.

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कादर खान की यादगार फिल्में

कादर खान की यादगार फिल्मों में याराना, अमर अकबर एंथनी, मुकद्दर का सिकंदर, हसीना मान जाएगी, हीरो नंबर वन, आंखें, बाप नंबर बेटा दस नंबरी और बोल राधा बोल के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं. कादर खान डायलॉग राइटर भी रहे. कादर खान का जन्म 22 अक्तूबर 1937 को हुआ जबकि उनका निधन 31 दिसंबर, 2018 को हुआ. 



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