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पथरल चहर बत कर कभ फलम मकरस न इनह कर दय थ रजकट फर क सरकर नकर 38 क उमर क बद मल बरक पहचन कय

रौबदार और सख्त सा चेहरा, भारी भरकम आवाज और गहरी, बड़ी-बड़ी आंखें, इस शख्सियत के साथ ये शख्स जब भी पर्दे पर आया अपनी मौजदूगी से दर्शकों का दिल जीतता रहा. वैसे इन्हें फिल्मी पर्द पर कभी हीरो बनने का मौका नहीं मिला. लेकिन विलेन से लेकर कैरेक्टर रोल तक में कुछ ऐसे जान डाली कि बस उस किरदार को देखकर लगता था कि इसी शख्स के लिए बना है. क्या आप पहचान पाए कौन है बॉलीवुड का ये बुलंद सितारा जिसे पहले फिल्म इंडस्ट्री ने रिजेक्ट कर दिया.

सरकारी नौकरी की थियेटर से पहचान बनाई और फिर फिल्मों के दरवाजे कुछ ऐसे खुले कि हॉलीवुड तक पहुंच आसान हो गई.

दमदार विलेन, सख्त पिता

ये चेहरा किसी और का नहीं फिल्मों में कभी खतरनाक विलेन बनकर नजर आने वाले तो कभी हीरोइन के बाऊजी का किरदार निभाने वाले कलाकार अमरीश पुरी का है. अमरीश पुरी को कभी हीरो बनने का मौका नहीं मिला लेकिन इस अजीमोशान फनकार ने पॉजीटिव और कैरेक्टर रोल में भी ऐसा जबरदस्त काम किया कि उनके विलेन के अवतार को लोग भूल गए. राम लखन, त्रिदेव जैसी कई फिल्में हैं जिसमें अमरीश पुरी जब विलेन बनकर आए तब लगा कि इनसे खतरनाक विलेन कोई नहीं हो सकता. और जब दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, परदेस जैसी फिल्मों में कैरेक्टर रोल में दिखे तब लगा कि इनसे ज्यादा बेहतरीन कोई नहीं हो सकता. अमरीश पुरी ने नेगेटिव रोल्स में जितना दहलाया अपने कैरेक्टर रोल्स से उतना ही प्यार भी हासिल किया.

देर से मिला ब्रेक

अमरीश पुरी पंजाब से मुंबई आए थे हीरो बनने की आस लेकर. लेकिन उनका चेहरा देखकर डायरेक्टर ने उनसे कहा कि इस पथरीले से चेहरे के साथ हीरो नहीं बना जा सकता. और, उन्हें रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद राज्य कर्मचारी बीमा निगम में उनकी नौकरी लग गई. लेकिन अमरीश पुरी की मंजिल तो रजत पटल ही था. जिसकी खातिर सब छोड़ वो थियेटर में काम करने लगे. यहां उनकी एक्टिंग का जलवा ऐसा कायम हुआ कि बॉलीवुड दोबारा उन्हें इंकार नहीं कर सका. अमरीश पुरी को जब पहला ब्रेक मिला तब तक उनकी उम्र 38 साल के आसपास हो चुकी थी. फिल्मी सफर विलेन के तौर पर शुरू हुआ और फिर कैरेक्टर रोल में भी अमरीश पुरी ने खूब नाम कमाया.

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